आसन
आसन की सिद्धि से नाड़ियों की शुद्धि, आरोग्य की वृद्धि एवं स्फूर्ति प्राप्त होती है। पतंजलि ने अपने रचित योगसूत्र में लिखा है "स्थिरं सुखम आसनम" चित्त
को स्थिर रखने वाले तथा सुख देने वाले बैठने के प्रकार को आसन कहते
हैं।योग की आठ मंजिलो में तीसरी एवं महत्वपूर्ण मंजिल है अर्थात तीसरी
मंजिल को लिए पहली व् दूसरी मंजिल को प्राप्त करना अनिवार्य है नहीं तो आसन
की सिद्धि पूर्ण रूप से नहीं हो सकेगी।
आसन को करने व उसके मुद्राओं के आधार पर इसका वर्गीकरण किया गया है।
1. सूक्ष्म आसन : सूक्ष्म आसन या व्यायाम (अंग संचालन)
के बाद ही योग के आसनों को किया जाता है। योग प्रारम्भ करने के पूर्व
अंग-संचालन करना आवश्यक है। इससे अंगों की जकड़न समाप्त होती है तथा आसनों
के लिए शरीर तैयार होता है।
आसनों को सीखना प्रारम्भ करने से पूर्व कुछ आवश्यक सावधानियों पर ध्यान देना जरूरी है। आसन प्रभावकारी तथा लाभदायक तभी हो सकते हैं, जबकि उसको उचित रीति से किया जाए। आसनों को किसी योग्य योग चिकित्सक की देख-रेख में करें तो ज्यादा अच्छा होगा।
आसनों को सीखना प्रारम्भ करने से पूर्व कुछ आवश्यक सावधानियों पर ध्यान देना जरूरी है। आसन प्रभावकारी तथा लाभदायक तभी हो सकते हैं, जबकि उसको उचित रीति से किया जाए। आसनों को किसी योग्य योग चिकित्सक की देख-रेख में करें तो ज्यादा अच्छा होगा।
यह निम्न प्रकार के होते है।
a.)हाथ की ऊँगलीओ के (अंगुली नमन)
b.)कलाई का (मणिबंध)
c.)कोहनी का
d.)कंधे का (स्कन्ध चक्र)
e.)सम्पूर्ण हाथों का
3. ग्रीवा (गर्दन) संचालन
4. पैरों का व्यायाम
a.)पाद अंगुली नमन
b.)पाद नमन
c.)पाद चक्र
d.)जानू चक्र
e.)जानू नमन
f.)श्रोणी चक्र
g.)अर्ध तितली
i.)पूर्ण तितली
बैठ कर किये जाने वाले आसन जैसे :
पद्मासन, वज्रासन, सिद्धासन, मत्स्यासन, वक्रासन, अर्ध-मत्स्येन्द्रासन, पूर्ण मत्स्येन्द्रासन, गोमुखासन, पश्चिमोत्तनासन, जानुशिरासन, मंडूकासन, शशकासन आदि।
खडे होकर किये जाने वाले आसन जैसे :
ताड़ासन, वृक्षासन,
अर्धचंद्रमासन, अर्धचक्रासन, दो भुज कटिचक्रासन, चक्रासन,
पाद्पश्चिमोत्तनासन, गरुढ़ासन, चंद्रनमस्कार, चंद्रासन, उर्ध्व उत्थान आसन,
पाद संतुलन आसन, मेरुदंड वक्का आसन, अष्टावक्र आसन, बैठक आसन, उत्थान बैठक
आसन, अंजनेय आसन, त्रिकोणासन, नटराज आसन, एक पाद विराम आसन, एकपाद आकर्षण
आसन, उत्कटासन, उत्तानासन, कटी उत्तानासन, जानु आसन, उत्थान जानु आसन,
हस्तपादांगुष्ठासन, पादांगुष्ठासन, ऊर्ध्वताड़ासन,
पादांगुष्ठानासास्पर्शासन, कल्याण आसन आदि।
पीठ के बल लेट कर किये जाने वाले आसन जैसे :
अर्धहलासन, हलासन, सर्वांगासन,पवनमुक्तासन, नौकासन, दीर्घ नौकासन, शवासन, पूर्ण सुप्त वज्रासन, सेतुबंध आसन, उत्तानपादासन, मर्कटासन, पाद चक्रासन आदि।
पेट के बल लेट कर किये जाने वाले आसन जैसे :
मकरासन, धनुरासन, भुजंगासन, शलभासन, विपरीत नौकासन, खग आसन आदि।
अन्य आसन :
शीर्षासन, मयुरासन, सूर्य
नमस्कार, वृश्चिकासन, चंद्र नमस्कार, योगनिद्रा, मार्जारी आसन, अश्व संचालन आसन, भुजपीड़ासन,
चक्रासन , व्यघ्रासन
आदि।